शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

आवाज दिल से

पल हर पल याद करता हूँ तुझे 
दिन रात तेरे नाम की माला जपता हूँ 
पर तुझे कभी एहसास तक नही होता 
क्यूंकि तुझे हवा में उड़ने की आदत जो है 
कभी जमी पर अपनी नज़रों गडा कर तो देखो
तब तुम्हे हमारी दिल लगी का एहसास होगा | -भास्कर जोशी

यूँ न दिखो घूर घूर के ऐ-मदमस्त परिंदे
वरना हवा कहीं अपना रुख न बदल दे || 

देखो मगर प्यार से 
माँ बेटे का प्यार देखो 
कांग्रेस का इमोशनल अत्याचार देखो 
देखो मगर प्यार से 
दिल्ली का भागा हुआ मुख्यमंत्री देखो 
केजरीवाल की नौटंकी देखो 
देखो मगर प्यार से 
बुढ़ापे का इशक देखो 
देग्विजय का रोमांस देखो 
देखो मगर प्यार से
आजम खां की भैंस देखो 
मुलायम का गुंडा राज देखो 
देखो मगर प्यार से 
घोटालों की सरकार देखो 
बेईमानों का ईमान देखो 
देखो मगर प्यार से 
नरेंद्र मोदी की दहाड़ देखो 
भाजपा का गुजरात मॉडल देखो
देखो मगर प्यार से .......... भास्कर जोशी

कितना अजीब है मन का ये चंचल पन 
अगर कोई भा जाये तो उसे अपना बनने की ठान लेता है |

दिल की बात जुबां तक कैसे लाऊं 
हर दिन यही सोचकर निकलता था 
सोचता हूँ आज कह ही दूं उनसे दिल की बात 
पर कमबख्त रोज की तरह आज भी जुबां दगा दे गई | - भास्कर जोशी

चाह तो थी बहुत उन्हें पाने की 
पर हुआ यूँ 
कि हम चाह कर भी उन्हें कुछ कह न सके | - भास्कर जोशी

तिरछी नज़रों से वार करना कोई उनसे सीखे 
एसी नजर मारी कि नजर हमें लग गयी | भास्कर जोशी

महसूस किया उनके आने की आहट सुनी हमने 
फिर क्या था 
हम डर के मारे दुपक कर बैठ गये |   

सोचा था इस बार बता ही दूँ अपनी मन की बात 
पल भर की देरी हुई और हम फिर चुक गये |- भास्कर जोशी

ये क्या बात हुई 
बताया ही क्यूँ 
बताने को मना किया 
और फिर भी बता दिया |
पर बात क्या हुई 
खुद को पता नही 
बतया क्या ये भी पता नही 
और सबकुछ बता दिया 
यह मुझे मालूम नही |   भास्कर जोशी

कस्ती हो तो समंदर को भी पार कर जाएँ
वरना नदियाँ ही काफी हैं डुबोने के लिए |

देखता हूँ विचरण करने वाले पंछियों को
जो हर रोज अपनी मस्ती में चला करते
सोचता हूँ कास हम भी ऐसे होते,
हर दिन नई उड़न, नए डगर की सैर करते | |

मेरी ख्वाईसें भी कुछ अजीब हैं 
मैं मरकर भी जिन्दा रहना चाहता हूँ 
आज का पता नही पर कल कुछ ऐसा कर जाऊंगा 
कि फिर लोग ये न कहें 
ये "पागल" भी चुपके से खिसक लिया || -पं. भास्कर जोशी

जिन्दगी हर पल हर घडी इमतिहा लेती है हम से 
कुछ इमतिहा पास कर जाते है और कुछ फेल
यह जरुरी तो नही हर इमतिहा पास कर जाएँ 
कुछ इमतिहा फेल होने पर भी पास कर जाते हैं -भास्कर जोशी

ये लो हम उन्हें यहाँ-वहां पग-पग पर ढूंढ रहे 
और वो हमें अपने दिल में बिठाये बैठे हैं |


मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

पारे भीड़ में मधुली बैठ रछी
वार बटी मैं वीक मुखडी चै रछी
जब तक विल मगें नि देखि
तब तक मैं ले टूक-टूक चारि देखि रौछी ।
जैसे विल मगें देखो
मैं फिर  ले उगें देखिये रौछी
मधुली कें ऐ गोय गुस्स
मधुलील पारे बटी लमथरल दी । 

सोमवार, 16 दिसंबर 2013

शक होता है

शक होता है
फेसबुक का जमाना है
हर कोई फेसबुक में अपना मित्र बनाना चाहता है
अब जिसमे हमारी सूरत, अचार, व्यहार ठीक नही
उस वक्त कोई लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट आ जाये
तब सक होता है
दिल्ली में जब विधान सभा चुनाव हुए
तब "आप" पार्टी की विजय हुई
जब सरकार बनाने का नंबर आया
तब "आप" पार्टी के मुखिया शर्तों को आगे रख पीछे खिसकते नजर आये
तब सक होता है

रविवार, 24 नवंबर 2013

कटाक्ष

3/1/2014
रात की ठिठुरती ठण्ड में
असहाय, लाचार पड़े लोग
न रैन बसेरा है न ओढ़ने को चादर
बस यूँ ही रात की ठण्ड में कपकपाते है लोग

25/12/2013
बी जे पी तू कांग्रेस पर वार कर
कांग्रेस तू बी जे पी पर वार कर
तू कर अन्य दलों पर वार
पर आम जन की भावनाओं पर खिलवाड़ न कर
कहीं ऐसा न हो कि आम जन तुमसे खेल बैठे ॥

मंगलवार, 19 नवंबर 2013

ख़ुशी के पल

चुपी  साधकर न कहते हुए भी बहुत कुछ कह गये
शर्माती हुई  पलकों को झुककर इजहार कर गये ।

जिंदगी का क्या भरोषा,
कब साथ छोड़ दे अपना ।
पल जियें दो पल जियें ,
अपनों को खुशियां देते रहें ।
कल हो न हो यह कौन जानता ,
बस यूँ समझो आज दिन आपका ॥

जीवन जीना भी तभी सरल होता है
जब मित्रो कि कतार आप-सी हो ॥
हर दुख संकटों से उभर सकते हैं
जब मित्रों की छाया साथ-साथ हो ॥

यह जिंदगी सौ जतन करने के बाद मिली है
इसे व्यर्थ न जाने दो दोस्तों
न जाने फिर यह जीवन नशीब हो न हो
जी ले आज, अफ़सोस न कर न जाने फिर कल हो न हो