पल हर पल याद करता हूँ तुझे
दिन रात तेरे
नाम की माला जपता हूँ
पर तुझे कभी
एहसास तक नही होता
क्यूंकि तुझे
हवा में उड़ने की आदत जो है
कभी जमी पर अपनी
नज़रों गडा कर तो देखो
तब तुम्हे हमारी दिल लगी का एहसास होगा | -भास्कर जोशी
तब तुम्हे हमारी दिल लगी का एहसास होगा | -भास्कर जोशी
यूँ न दिखो घूर घूर के ऐ-मदमस्त परिंदे
वरना हवा कहीं अपना रुख न बदल दे ||
देखो मगर प्यार
से
माँ बेटे का प्यार देखो
कांग्रेस का इमोशनल अत्याचार देखो
देखो मगर प्यार से
दिल्ली का भागा हुआ मुख्यमंत्री देखो
केजरीवाल की नौटंकी देखो
देखो मगर प्यार से
बुढ़ापे का इशक देखो
देग्विजय का रोमांस देखो
देखो मगर प्यार से
आजम खां की भैंस देखो
मुलायम का गुंडा राज देखो
देखो मगर प्यार से
घोटालों की सरकार देखो
बेईमानों का ईमान देखो
देखो मगर प्यार से
नरेंद्र मोदी की दहाड़ देखो
भाजपा का गुजरात मॉडल देखो
देखो मगर प्यार से .......... भास्कर जोशी
माँ बेटे का प्यार देखो
कांग्रेस का इमोशनल अत्याचार देखो
देखो मगर प्यार से
दिल्ली का भागा हुआ मुख्यमंत्री देखो
केजरीवाल की नौटंकी देखो
देखो मगर प्यार से
बुढ़ापे का इशक देखो
देग्विजय का रोमांस देखो
देखो मगर प्यार से
आजम खां की भैंस देखो
मुलायम का गुंडा राज देखो
देखो मगर प्यार से
घोटालों की सरकार देखो
बेईमानों का ईमान देखो
देखो मगर प्यार से
नरेंद्र मोदी की दहाड़ देखो
भाजपा का गुजरात मॉडल देखो
देखो मगर प्यार से .......... भास्कर जोशी
कितना अजीब है
मन का ये चंचल पन
अगर कोई भा जाये तो उसे अपना बनने की ठान लेता है |
अगर कोई भा जाये तो उसे अपना बनने की ठान लेता है |
दिल की बात
जुबां तक कैसे लाऊं
हर दिन यही सोचकर निकलता था
सोचता हूँ आज कह ही दूं उनसे दिल की बात
पर कमबख्त रोज की तरह आज भी जुबां दगा दे गई | - भास्कर जोशी
हर दिन यही सोचकर निकलता था
सोचता हूँ आज कह ही दूं उनसे दिल की बात
पर कमबख्त रोज की तरह आज भी जुबां दगा दे गई | - भास्कर जोशी
चाह तो थी बहुत
उन्हें पाने की
पर हुआ यूँ
कि हम चाह कर भी उन्हें कुछ कह न सके | - भास्कर जोशी
पर हुआ यूँ
कि हम चाह कर भी उन्हें कुछ कह न सके | - भास्कर जोशी
तिरछी नज़रों से
वार करना कोई उनसे सीखे
एसी नजर मारी कि नजर हमें लग गयी | भास्कर जोशी
एसी नजर मारी कि नजर हमें लग गयी | भास्कर जोशी
महसूस किया उनके
आने की आहट सुनी हमने
फिर क्या था
हम डर के मारे दुपक कर बैठ गये |
फिर क्या था
हम डर के मारे दुपक कर बैठ गये |
सोचा था इस बार
बता ही दूँ अपनी मन की बात
पल भर की देरी हुई और हम फिर चुक गये |- भास्कर जोशी
पल भर की देरी हुई और हम फिर चुक गये |- भास्कर जोशी
ये क्या बात हुई
बताया ही क्यूँ
बताने को मना किया
और फिर भी बता दिया |
पर बात क्या हुई
खुद को पता नही
बतया क्या ये भी पता नही
और सबकुछ बता दिया
यह मुझे मालूम नही | भास्कर जोशी
बताया ही क्यूँ
बताने को मना किया
और फिर भी बता दिया |
पर बात क्या हुई
खुद को पता नही
बतया क्या ये भी पता नही
और सबकुछ बता दिया
यह मुझे मालूम नही | भास्कर जोशी
कस्ती हो तो
समंदर को भी पार कर जाएँ
वरना नदियाँ ही काफी हैं डुबोने के लिए |
वरना नदियाँ ही काफी हैं डुबोने के लिए |
देखता हूँ विचरण
करने वाले पंछियों को,
जो हर रोज अपनी मस्ती में चला करते |
सोचता हूँ कास हम भी ऐसे होते,
हर दिन नई उड़न, नए डगर की सैर करते | |
जो हर रोज अपनी मस्ती में चला करते |
सोचता हूँ कास हम भी ऐसे होते,
हर दिन नई उड़न, नए डगर की सैर करते | |
मेरी ख्वाईसें
भी कुछ अजीब हैं
मैं मरकर भी जिन्दा रहना चाहता हूँ
आज का पता नही पर कल कुछ ऐसा कर जाऊंगा
कि फिर लोग ये न कहें
ये "पागल" भी चुपके से खिसक लिया || -पं. भास्कर जोशी
मैं मरकर भी जिन्दा रहना चाहता हूँ
आज का पता नही पर कल कुछ ऐसा कर जाऊंगा
कि फिर लोग ये न कहें
ये "पागल" भी चुपके से खिसक लिया || -पं. भास्कर जोशी
जिन्दगी हर पल
हर घडी इमतिहा लेती है हम से
कुछ इमतिहा पास कर जाते है और कुछ फेल
यह जरुरी तो नही हर इमतिहा पास कर जाएँ
कुछ इमतिहा फेल होने पर भी पास कर जाते हैं -भास्कर जोशी
कुछ इमतिहा पास कर जाते है और कुछ फेल
यह जरुरी तो नही हर इमतिहा पास कर जाएँ
कुछ इमतिहा फेल होने पर भी पास कर जाते हैं -भास्कर जोशी
ये लो हम उन्हें
यहाँ-वहां पग-पग पर ढूंढ रहे
और वो हमें अपने दिल में बिठाये बैठे हैं |
और वो हमें अपने दिल में बिठाये बैठे हैं |